Sherlock Holmes Best Detective Stories in Hindi
लंदन में होनेवाली खेल की आपूर्ति अनवरत जारी है। हमें विश्वास है कि हेडकीपर हडसन को फ्लाइ-पेपर की समग्र आपूर्ति को प्राप्त करने और उन्हें तुम्हारे मुरगी-तीतर के संरक्षण के लिए भी कह दिया गया है।
उस रहस्यमय संदेश को पढ़कर जैसे ही मैंने अपना सिर ऊपर उठाया, मैंने देखा कि होम्स मेरे चेहरे पर आए भावों को पढ़कर मंद-मंद मुसकरा रहे थे।
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“तुम थोड़ा हैरान दिखाई दे रहे हो?” उन्होंने कहा।
“मैं यह नहीं समझ पा रहा हूँ कि ऐसे संदेश को पढ़कर कोई भयभीत कैसे हो सकता है! मुझे तो यह थोड़ा बेतुका होने के सिवाय और कुछ नहीं लगता।”
“मुमकिन है। फिर भी इस कागज की सच्चाई यह है कि इसका पाठक, जो एक स्वस्थ वृद्ध व्यक्ति है, इसे पढ़ने के बाद इतना घबरा गया, मानो उसके ऊपर किसी ने पिस्तौल तान दी हो।”
“आप मेरी उत्सुकता बढ़ा रहे हैं,” मैंने कहा, “लेकिन अभी-अभी आपने कहा कि मुझे इसे इसलिए अवश्य पढ़ना चाहिए, क्योंकि इस केस के अध्ययन के इसमें कुछ खास कारण निहित हैं?”
“चूँकि यह पहला मामला है, जिससे मैं पहली बार जुड़ा था।”
मैंने अकसर अपने साथी को यह बताने का प्रयास किया कि वे कौन से कारण थे, जिन्होंने मुझे आपराधिक अनुसंधान की दिशा में प्रवृत्त किया; लेकिन इससे पहले वे इतने विनोदी वार्त्तालाप की स्थिति में कभी नहीं मिले। वे अपनी कुरसी पर झुककर बैठे और अपने घुटनों पर उस दस्तावेज को फैला लिया। उसके बाद उन्होंने अपनी पाइप सुलगा ली और कुछ देर उसे पीने के बाद कागजों को मोड़कर एक ओर रख दिया।
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“तुमने मुझे विक्टर ट्रेवर के बारे में चर्चा करते कभी सुना था?” उन्होंने पूछा। “कॉलेज की अपनी दो वर्षों की पढ़ाई के दौरान केवल उसी को अपना मित्र बनाया था। वाटसन, मैं कभी भी कोई मिलनसार आदमी नहीं था, इसके बजाय मुझे अपने कमरों की साफ-सफाई और अपने विचारों को मूर्त रूप देने में अधिक रुचि थी। यही कारण है कि पढ़ाई के दिनों में मैं अधिक लोगों के साथ घुल-मिल नहीं सका। रस्सा-कूद और बॉक्सिंग जैसे शारीरिक खेलों में मेरी कुछ रुचि जरूर थी, लेकिन मेरे अध्ययन का विषय दूसरों की अपेक्षा अधिक विशिष्ट था, इसलिए मेरे पास किसी से मेलजोल बढ़ाने का समय ही नहीं था। ट्रेवर ही एकमात्र ऐसा व्यक्ति था, जिसे मैं जानता था। उससे जान-पहचान होने का कारण उसका शिकारी कुत्ता था। हुआ यह कि एक दिन वह चर्च जाते समय मेरे घुटनों में आकर दुबक गया था, क्योंकि उस दिन सर्दी बहुत अधिक थी। अचानक उससे टकराने के कारण मैं गिर गया और मेरे घुटने चोटिल हो गए।
“दोस्ती बनाने का वह अकल्पनीय, परंतु कारगर तरीका था। मैं दस दिनों तक बिस्तर पर रहा और ट्रेवर मेरा हालचाल जानने आता रहा। शुरू-शुरू में तो हमारी बातचीत एकाध मिनट में ही खत्म हो जाती थी, लेकिन उसकी मुलाकातें बढ़ने के साथ ही हमारी घनिष्ठता भी बढ़ गई और हम दोनों घनिष्ठ मित्र बन गए। वह दिलकश, ओजस्वी एवं फुर्तीला नौजवान था, कहने का अर्थ यह है कि वह मेरी तरह सुस्त और आरामपसंद इनसान नहीं था। हम दोनों के मध्य केवल एक समानता थी कि मेरी तरह उसका भी कोई मित्र नहीं था और हमारे परस्पर लगाव का कारण भी यही था। एक दिन उसने मुझे अपने पिता के घर नॉरफोक स्थित डॉन्नीथॉर्प आने का निमंत्रण दिया और मैंने छुट्टियों में एक महीने के लिए उसका आतिथ्य स्वीकार कर लिया।
“वास्तव में बुजुर्ग ट्रेवर एक संपन्न और अमीर आदमी थे। ब्रॉड्स प्रांत के उत्तरी लैंगमेयर जिले के डॉन्नीथॉर्प कस्बे में उनका घर और जमीन-जायदाद थी। उनके ईंटोंवाले लंबे-चौड़े मकान में देवदार की शहतीरें लगी थीं। उनके घर में एक छोटी सी लाइब्रेरी (पुस्तकालय) और एक उत्तम, किंतु असंतुष्ट रसोइया था, जो राजी-खुशी एक महीना भी वहाँ नहीं रह पाता था।
“वरिष्ठ ट्रेवर एक विधुर थे, और मेरा मित्र उनका एकमात्र पुत्र था।
“मैंने सुना था कि उनकी एक बेटी भी थी, जिसकी बर्मिंघम यात्रा के दौरान गले की संक्रामक बीमारी से मृत्यु हो गई थी। मेरे मित्र के पिता मुझे अत्यंत दिलखुश इनसान लगे। वे सुसंस्कृत व्यक्ति होने के साथ-साथ शारीरिक और मानसिक तौर पर थोड़ा रूखे भी थे। उन्हें किताबों के बारे में अधिक जानकारी नहीं थी, लेकिन उन्होंने दुनिया की सैर बहुत की थी। अपने अनुभव से उन्होंने जो कुछ सीखा था, वह सब उन्हें याद था। देखने में वह एक स्थूलकाय, धूसर बालों और रूखे चेहरेवाले व्यक्ति थे। उनकी नीली आँखें अत्यंत डरावनी थीं। इसके बावजूद शहर में उनकी प्रतिष्ठा एक दयालु और दानी व्यक्ति के रूप में थी और वे अपनी मृदुभाषिता के लिए प्रसिद्ध थे।
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“एक शाम मेरे पहुँचने के फौरन बाद जब हम खाना खाकर विदेशी मदिरा का गिलास लेकर बैठे थे, तभी छोटे ट्रेवर ने अपने पिता की निरीक्षण और मूल्यांकन की आदतों के बारे में बताना शुरू किया, जिसका अनुमान मैंने पहले ही लगा लिया था, फिर भी वे लोग मेरे जीवन में जो भूमिका निभानेवाले थे, उसकी भनक मैंने उन्हें नहीं लगने दी। बुजुर्ग ट्रेवर को लगा कि उनके जीवन के एकाध मामूली कार्यों को उनका पुत्र बढ़ा-चढ़ाकर पेश कर रहा था।
‘आइए मि. होम्स,’ उसने भरपूर विनोदी भाव से हँसते हुए कहा, ‘यदि आप मुझे देखकर अनुमान लगा सकें तो मैं आपके लिए एक उत्तम विषय हो सकता हूँ।’
‘आपके बारे में अनुमान लगाने के लिए मेरे पास कुछ खास नहीं है,’ मैंने उत्तर दिया। ‘मैं तो आपको बस इतना ही बता सकता हूँ कि विगत बारह महीनों में आप अपने ऊपर होनेवाले हमले से भयभीत रहे हैं।’
“मेरी बात सुनते ही उसके होंठों की हँसी धुँधली पड़ गई और उसने मेरी ओर बड़ी हैरानी से देखा।
‘हाँ, यह बात तो किसी हद तक सच है,’ उसने कहा। उसने अपने पुत्र की ओर मुड़ते हुए कहा, ‘तुम जानते हो, विक्टर! जब हम अवैध शिकार करनेवाले गैंग से अलग हुए तो उन्होंने मुझे चाकू मारने की कसम खाई थी, लेकिन वास्तव में उन्होंने पवित्र सर एडुअर्ड पर हमला किया था। तब से मैं अपनी सुरक्षा के प्रति हमेशा सतर्क रहता हूँ, तथापि आप यह बात कैसे जानते हैं, इसका मुझे कोई ज्ञान नहीं है।’
‘आपके पास बड़ी सुंदर छड़ी है,’ मैंने उत्तर दिया। ‘अपनी अंतर्दृष्टि से मैंने महसूस किया कि यह छड़ी आपके पास एक वर्ष से अधिक समय से नहीं है। लेकिन आपने इसके सिरे पर छेद करके उसमें पिघला हुआ सीसा भर दिया है, ताकि इसे घातक हथियार बना सकें।’ मैंने तर्क दिया कि ‘यदि आपको किसी खतरे की आशंका नहीं होती तो आप ऐसा काम नहीं करते।’
‘और कोई बात?’ उसने मुसकराते हुए पूछा।
‘आपने अपनी जवानी में काफी मुक्केबाजी की है।’
‘यह भी सही है। आप यह कैसे जानते हैं? कहीं आपके अनुमान का कारण सीधी की बजाय मेरी एक ओर झुकी हुई नाक तो नहीं?’
‘नहीं,’ मैंने कहा, ‘वह तो आपके कान हैं। वे विशिष्ट रूप से चपटे और मोटे हैं और ऐसे कान किसी मुक्केबाज के ही हो सकते हैं।
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‘और कोई बात?’
‘आपने अपने बलिष्ठ हाथों से बड़े पैमाने पर खुदाई की है।’
‘मैंने अपना सारा धन सोने की खानों में कमाया है।’
‘आप न्यूजीलैंड में रहे हैं।’
‘आपकी बात एक बार फिर सही है।’
‘आपने जापान की यात्रा भी की है।’
‘बिल्कुल सही।’
‘और आप ‘जे.ए.’ संक्षिप्ताक्षर नामवाले किसी व्यक्ति के साथ बड़ी घनिष्ठता से जुड़े रहे हैं, जिसे बाद में आप पूरी तरह भुला देने के इच्छुक थे।’
“मि. ट्रेवर आहिस्ता से उठे, अपनी बड़ी-बड़ी नीली आँखों को मेरे ऊपर जमाया तथा विचित्र-सी हिंसक नजरों से मुझे देखा और अपने कपड़ों पर पड़े धूमिल छिलकों को झाड़ते हुए आगे बढ़ गए।
“वाटसन, तुम कल्पना कर सकते हो कि हम दोनों (उसका पुत्र और मैं) कितने अचंभित थे। उसके ऊपर पड़े दौरे का असर अधिक देर तक नहीं रहा। बहरहाल, जब हमने उसका कॉलर सीधा करके उसके चेहरे पर पानी का छिड़काव किया तो एक या दो बार हाँफने के बाद वह उठ बैठा।
“उसने जबरन मुसकराने की कोशिश करते हुए कहा, ‘अरे बच्चो, मुझे उम्मीद है कि तुम्हें मैंने भयभीत नहीं किया। मैं देखने में भले ही मजबूत हूँ, लेकिन मेरा दिल जरा कमजोर है, इसलिए उसे बार-बार झकझोरने की जरूरत नहीं है। मि. होम्स, मुझे नहीं पता कि आप यह सब कैसे कर लेते हैं, लेकिन इतना तो तय है कि बड़े-बड़े जासूस आपके सामने बच्चे हैं। यह आपका जिंदगी भर का पेशा है, लेकिन मेरी बात को याद रखिएगा कि मैंने जो कुछ कहा है, अपने अनुभव के आधार पर कहा है, क्योंकि मैंने भी थोड़ी-बहुत दुनिया देखी है।’
“मेरी बात पर विश्वास करो वाटसन, उसने मेरी योग्यता की प्रशंसा कुछ ज्यादा ही कर दी थी। वैसे उसने मुझे यह विश्वास तो दिला ही दिया था कि जिसे मैं अपना शौक मानता हूँ, उसे व्यवसाय बनाने में कोई बुराई नहीं है। बहरहाल, किसी अन्य चीज के विषय में सोचने के बजाय मेरे मेजबान की तबीयत अचानक खराब हो जाने के कारण मैं अत्यंत चिंतित हो गया था।
‘मुझे आशा है कि मैंने आपको कष्ट पहुँचाने के उद्देश्य से कोई बात नहीं की?’ मैंने कहा।
‘अच्छी बात है, लेकिन यह तो
निश्चित है
कि तुमने मेरी दुखती रग
पर हाथ
रख दिया है। क्या मैं पूछ सकता हूँ कि आप मेरे बारे में क्या जानते हैं और
कहाँ तक
जानते हैं?’ बेशक इस बार
वे थोड़ा मजाकिया अंदाज में
बोले, लेकिन उनकी आँखों के
पीछे छिपा डर मुझे साफ-साफ दिखाई दे रहा था।
‘आपकी सादगी स्वयं इसका उत्तर है,’ मैंने कहा, ‘जब आपने मछली को नाव पर चढ़ाने के लिए अपना बाजू ऊपर चढ़ाया, तभी मैंने देख लिया था कि आपकी कोहनी के नीचे ‘जे.ए.’ नामवाला गोदना गुदा हुआ था। यद्यपि गोदने के अक्षर स्पष्ट थे, लेकिन त्वचा के फैलने और उसके इर्द-गिर्द बने धब्बों को देखकर कहा जा सकता है कि उन अक्षरों को मिटाने की कोशिश की गई थी, फिर भी वे स्पष्ट पढ़े जा सकते थे। इससे यह अंदाजा लगाना स्वाभाविक था कि जिस व्यक्ति के नाम के वे संकेताक्षर थे, वह किसी समय आपको अत्यंत प्रिय रहा होगा; लेकिन किसी अदृश्य कारण से उसे भुलाने के लिए आपने उन अक्षरों को मिटाने की कोशिश की थी।’
‘कितनी कमाल की आँखें हैं आपकी!’ वे राहत की साँस लेते हुए बोले, ‘आप जैसा कह रहे हैं, ठीक वैसा ही है। लेकिन अब हम इसके विषय में बात नहीं करेंगे। मेरे अतीत के प्रियजनों की यादें अत्यंत बीभत्स हैं, इसलिए मैं उनकी परछाईं को भी पूरी तरह भूल जाना चाहता हूँ। चलो, बिलियर्ड रूम में चलकर सिगार पीते हैं।’
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“उस दिन के बाद से अपनी तमाम सहृदयता के बावजूद मि. ट्रेवर मेरे प्रति सदैव शंकालु रहने लगे। यहाँ तक कि स्वयं उनके पुत्र ने भी इस विषय पर टिप्पणी की थी। उसने मुझसे कहा, ‘तुमने मेरे पिताजी को ऐसी बातें बताईं कि उन्हें तुम्हारे ऊपर कभी विश्वास नहीं होगा कि तुम उनके बारे में क्या जानते हो और क्या नहीं जानते। उनका आशय इसे दिखाने का नहीं था, लेकिन उनके मन में यह बात इतनी पुख्ता हो गई है कि उनके प्रत्येक कृत्य में वह परिलक्षित होती है। अंततः मैं इस तथ्य से सहमत हो गया कि मेरी वजह से उन्हें असहजता महसूस हो रही है, अतः मैंने अपनी यात्रा को संकुचित करके वापस लौटने का निर्णय किया, परंतु मेरी वापसीवाले दिन एक अत्यंत महत्त्वपूर्ण घटना घटित हो गई।
“हम घास के मैदान पर कुरसियों पर बैठे हुए धूप का आनंद ले रहे थे और ब्रॉड्स की मनोरम छटा की चर्चा कर रहे थे, तभी एक महरी ने बाहर आकर कहा कि ‘दरवाजे पर एक आदमी खड़ा है, जो मि. ट्रेवर से मिलना चाहता है।’
‘क्या नाम है उसका?’ मेरे आतिथेय ने पूछा।
‘उसने अपना कोई नाम नहीं बताया।’
‘ताे फिर वह क्या चाहता है?’
‘वह कहता है कि आप उसे जानते हैं और वह एकाध मिनट आपसे बात करना चाहता है।’
‘ठीक है, उसे यहीं बुलाकर ले आओ।’ इसके तत्काल बाद एक झुर्रीदार चेहरेवाला, दीन-हीन सा आदमी लँगड़ाते हुए हमारे समक्ष आकर खड़ा हो गया। उसने एक खुली जैकेट पहनी हुई थी, जिसकी बाजू पर डामर का दाग लगा हुआ था। जैकेट के नीचे उसने काले और लाल खानोंवाले कपड़े की कमीज और मोटी सूती पैंट पहनी हुई थी। उसके जूते अत्यंत फटे-पुराने थे। उसका चेहरा पतला, भूरा और खुरदरा था, जिस पर आनेवाली हँसी के कारण उसके बेतरतीब पीले दाँत दिखाई देते थे। उसके नाविक जैसे सिलवटी हाथ आधे मुड़े हुए थे। जैसे ही वह हमारी ओर आता दिखाई पड़ा, मि. ट्रेवर की घिग्घी बँध गई और उनके गले से आवाज नहीं निकली। अचानक वे कुरसी से उछलकर घर की ओर दौड़ पड़े। दो मिनट बाद वे वापस लौट आए; लेकिन जब वे मेरी बगल से होकर गुजरे तो मुझे उनके मुँह से ब्रांडी की तेज दुर्गंध आती महसूस हुई।
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‘मैं तुम्हारे लिए क्या कर सकता हूँ, मेरे दोस्त?’ ट्रेवर ने पूछा।
नाविक अपनी दशा पर सकुचाते हुए, बिना कुछ बोले खड़ा रहा।
‘आप मुझे नहीं जानते?’ उसने पूछा।
‘क्यों सता रहे हो मुझे यार, तुम निश्चय ही हडसन हो।’ मि. ट्रेवर ने हैरतअंगेज आवाज में कहा।
Sherlock Holmes ki Detective Stories
https://www.amazon.in/dp/939257aa3022/
Author - Arthur Conan Doyle (Author)
ISBN 10 - 9392573022
ISBN 13 - 9789392573026
- प्रकाशक : Prabhat Prakashan Pvt. Ltd.; 2021 संस्करण (1 अक्टूबर 2021); Prabhat Prakashan Pvt. Ltd., 4/19, Asaf Ali Raod, New Delhi-110002 (PH: 7827007777) Email: prabhatbooks@gmail.com
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