उर्वशी अग्रवाल द्वारा दोहो में लिखी मैं शबरी हूं राम की कहानी

" मैं शबरी हूं राम की " - उर्वशी अग्रवाल 'उर्वी | Main Shabari Hoon Ram Ki  -Urvashi Agrawal

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" मैं शबरी हूं राम की " | Main Shabari Hoon Ram Ki by Urvashi Agrawal

लेखिका उर्वशी अग्रवाल ने अपनी पुस्तक " मैं शबरी हूं राम की " में उस प्रेम को एक श्लोक के माध्यम से प्रस्तुत किया है राम के प्रति शबरी के  प्रेम और भक्ति तथा रामभक्त शबरी की करुणामयी कहानी के माधयम से भारतीय नारी के प्रेम और निष्ठा भावना के सुंदर भाव को इस प्रस्तुत पुस्तक में किया गया है। रामभक्ति परंपरा में शबरी वही स्थान और महत्व है जो कृष्ण भक्ति में विदुर  की धर्मपत्नी  सुलभा का है।


शबरी का नाम आते ही राम का नाम साथ ही आता है और बरबस ही ध्यान आता है एक दयनीय और निरीह महिला का, जिसने अपने झूठे बेर प्रभु श्रीराम को उनके वनवास में अत्यंत ही प्रेम से खिलाए थे। पर क्या वास्तव में शबरी, मात्र श्री रामचरितमानस का एक पात्र है? यह मेरे लिए एक यक्ष प्रश्न था और बस यहीं से मेरी यह काव्य-यात्रा प्राम्भ हुई और अंतत: आज एक पुस्तक का रूप ले पायी।

"इसके लेखन में मैंने स्वयं भी एक शबरी के रूप में जीने का प्रयास किया और सोचा कि वो भी एक शबरी थी तो क्या मैं भी एक शबरी हूँ?'

यह उतना आसान नहीं था, पर कठिन भी नहीं था। अगर वह एक शबरी थी तो हर नारी एक शबरी है और हर पुरुष में भी शबरी-तत्त्व समान रूप से हैं। पाठकगण शायद इससे सहमत न हों, पर यदि हम इस पक्ष पर गौर करेंगे तो संभवत: आप मुझसे सहमत ज़रूर होंगे।

श्री रामचरितमानस के इस अत्यंत महत्त्वपूर्ण पात्र को अपने भीतर और अपने आस-पास तलाश करने का प्रयास करें। यदि मैं कहूँ कि प्रत्येक माँ, पत्नी, बहन एक शबरी है और उसी प्रकार से प्रत्येक पिता, पति एवं भाई में भी शबरी के सभी गुण विद्यमान हैं तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। केवल थोड़े से विश्लेषण मात्र से ही हमें इस का भान हो जाएगा कि हम सभी में राम भी हैं और शबरी भी।




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प्रत्येक माँ अपनी संतान को सदैव एक शबरी की भाँति उसकी आयु के अनुसार ही भोज्य पदार्थ चख कर देती है, ताकि उसका स्वास्थ्य अच्छा रहे और इसी प्रकार से पत्नी व बहन भी समयानुसार इस बात का ध्यान रखती हैं। इसी प्रकार से पिता अपनी संतानों को समय-समय पर अपने अनुभव के आधार पर अच्छे और बुरे का, यानी खट्टे और मीठे अनुभवों के अनुसार मार्गदर्शन करता है, ताकि उन्हें जीवन में कष्ट न उठाने पड़ें। इसी प्रकार पति अपनी पत्नी का और एक भाई अपनी बहन का मार्गदर्शन करता है।

शायद अब आप समझ पाए हों कि मेरा क्या आशय है और शबरी का क्या महत्त्व है? वास्तव में शबरी पर ये दोहे लिखना मेरे लिए तब ही संभव हो पाया, जब मैंने स्वयं को एक शबरी के रूप में ढालने का प्रयास किया और अपनी दिनचर्या में शामिल किया तथा जैसे-जैसे मैं शबरी में ढलती गई, यह काव्य-यात्रा प्रारंभ हो गई और आज एक पुस्तक रूप में आपके सामने है।

इसे लिखने का एक उद्देश्य यह भी है कि शबरी से जुड़े बहुत से प्रसंग बहुत ही कम लोगों को ज्ञात हैं। सम्भवत: इन दोहों के माध्यम से पाठक कम शब्दों में और सरल भाषा में इन प्रसंगों को जान पाएँगे। यदि पाठक अपने आप में शबरी को खोज पाएँ या स्वयं को शबरी के अनुसार बना पाएँ तो मेरी लेखनी धन्य हो जाएगी।

प्रभात प्रकाशन दवारा प्रकाशित पुस्त क मैं शबरी हूं राम की, में कुल 135 पेज है जिसकी कीमत रखी गई है 300 रूपए।




पूरी किताब पड़ने के लिए

Title -  मैं शबरी हूं राम की

ISBN - 9789390923038

Author - उर्वशी अग्रवाल 'उर्वी' /  Urvashi Agrawal ‘Urvi’

 


 

To Buy - https://www.amazon.in/dp/9390923034/

To Read Main Shabari Hoon Ram Ki - Shabari and Rama Hindi Book Full Book in hindi


About the Author

Urvashi Agrawal ‘Urvi’

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उर्वशी अग्रवाल 'उर्वी'

  • बाल्यकाल से ही कविताएँ लिखने में विशेष रुचि। समय के साथ-साथ ग़ज़लें लिखने का भी अनुभव। महिला विषयों, विशेषकर उनकी विभिन्न भावनाओं को कविताओं, ग़ज़लों, दोहों और चौपाइयों के माध्यम से प्रस्तुत करती हैं।
  • हिंदी के अतिरिक्त सरैकी भाषा में भी काव्य सृजन। आकाशवाणी द्वारा आयोजित हिंदी व सरैकी के कई काव्य प्रसारणों व कविता पाठ में सम्मलित हुई हैं।
  • अनेक टी.वी. चैनलों के कार्यक्रमों में कविताएँ व ग़ज़लें प्रस्तुत की हैं। अब तक लगभग एक हज़ार हिंदी कविताओं व पाँच सौ ग़ज़लों का सृजन। पाँच कविता व ग़ज़ल-संग्रह शीघ्र ही प्रकाशित होने वाले हैं, जिनमें प्रमुख हैं खण्डकाव्य ‘व्यथा कहे पंचाली’ व दोहा संग्रह ‘मैं शबरी हूँ राम की’।
  • दिल्ली व उसके आप-पास होने वाले कवि सम्मेलनों एवं मुशायरों में सक्रिय भागीदारी।काव्य मंच संचालन में सिद्धहस्त एवं कई सफल कवि सम्मेलनों, काव्य गोष्ठियों का संचालन कर चुकी हैं।


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