नागेंद्र बर्फ की गुफा में क्यों घुस गया
एल.एस.डी. की रक्षा करने और उसे सचेत करने हेतु नागेंद्र बर्फ कीगुफा में घुस गया। वह जानता था कि यह प्रय ास उन दोनों के लिए घातक हो सकता है; परंतु उसे वह सबकुछ करना था,जो वह कर सकता था। वहउस संकीर्ण गति रोध की ओर चला, जहाँ एल.एस.डी. घुसने के लिए संघर्ष कर रही थी। उसने उसे बाहर नि कालने हेतु उसका हाथ पकड़ लिय ा; परंतु एल.एस.डी. मति भ्रम कर रही थी, जि स कारण उसे नागेंद्र नहीं, अपि तु एक
कंकाल दि ख रहा था, जो उसकी कलाई खींच रहा था। इसलिए वह नागेंद्र पर प्रहार करने लगी। नागेंद्र के पास उसे बाहर नि कालने के लिए जोर से मारने के अति रिक्त कोई वि कल्प नहीं था। उसने बि ना कि सी संकोच के एक छोटा सा पत्थर उठाया और एल.एस.डी. के सि र के दाईं ओर प्रहार किय ा। एल.एस.
डी. के नेत्र उसके सि र में घूम गए और वह एकाएक भूमि पर अचेत होकर गि र पड़ी । नागेंद्र ने उसे उन दोनों के वस्त्रों में ढँक लिय ा और घसीटते हुए बाहर ले गया।
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उस समय आगरा में मि लारेपा ताजगंज बसई पहुँचे, जहाँ नि जी हेलिकॉप्टर यात्रा की सुवि धा थी। एक घंटे के भीतर उन्होंने पायलट को पूर्णतः सम्मोहि त कर लिय ा। यह एक आपातकालीन स्थिति थी; उनके पास अपनी
शक्तियों का प्रय ोग करने के अलावा अन्य कोई वि कल्प नहीं था। पायलट हेलिकॉप्टर को वृषकपि की खोज में हि मालय की ओर उड़ा ने लगा। कैलाश पर ओम् मौन बैठा था—अश्वत्था मा द्वारा अस्त्रों का आवाहन व निय ंत्रण करने हेतु दि ए गए मंत्रों का जाप करते हुए।
चौथा चि रंजीवी
पृथ्वी मि सेज बत्रा की ओर मुड़ा और उन्हें अपने ही वि चारों में खोया हुआ पाया। मि सेज बत्रा को ज्ञात हुआ कि पृथ्वी रुक गया था और उन्हें देख रहा था। मि सेज बत्रा ने अपने वि चारों को साझा करते हुए उत्तर दिय ा, ‘उन
दि नों तेज ने ओम् के रक्त के साथ अपने प्रय ोगों की वैधता को सत्यापि त करने हेतु कई परीक्षण कि ए। एक बार जब उन्होंने अपने दावे का समर्थन करने हेतु पर्याप्त जानकारी और प्रमाण एकत्र कर लिय े थे, तब उन्होंने भारत के कुछ सर्व-प्रसिद्ध संस्था नों के चिकि त्सा वि भागों के प्रमुखों को आमंत्रित करना आरंभ किय ा, यह कहते हुए कि वे हमारे घर आएँ और मेरी पि छली रिपोर्ट एवं वर्तमान स्थिति की जाँच करें। उन्हें आशा थी कि वे घोषण ा करेंगे कि उन्होंने मुझे मृत्यु -शय्या से पुनः जीवि त करके चिकि त्सा की दुनिय ा में एक
बड़ी सफलता प्राप्त की है।
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‘अश्वत्था मा, तुमने मुझे यहाँ क्यों बुलाया है?
अश्वत्था मा ने रॉस द्वीप से ज्ञानगंज तक और धन्वं तरि से परशुराम तक ओम् के बारे में सबकुछ वि स्ता र से बताया और फि र कृपाचार्य से उनकी सहायता के लिए अनुरोध किय ा। उन्होंने उल्लेख किय ा कि कैसे ओम् के
मस्ति ष्क के भीतर का द्वार इतना प्रबल था कि वे अधि क समय तक उसे खुला रखने में असमर्थ थे और इसी कार्य में उन्हें उनकी सहायता की आवश्यकता थी। उनकी रणनीति के अनुसार, सूक्ष्म रूप में अश्वत्था मा ओम् की रक्षा करने
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वाला था और कृपाचार्य द्वार को खुला रखकर उन्हें भीतर फँसने से सुरक्षित रखने वाला था। कृपाचार्य सहायता करने के लिए तैयार हो गए। ओम् के साथ सूक्ष्म रूप में जाने हेतु अब तीनों का एक साथ ध्या न करने का समय था। परंतु उनके बैठने से पूर्व परशुराम ने सभी को योजना साझा करने के लिए बुलाया।……..
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