मणिपुर की लोककथाएँ हिंदी में : यशवंत सिंह हिंदी पुस्तक - कहानी | Manipur Ki Lok kathayen in Hindi : Yashwant Singh Hindi Book – Story (Kahani)
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बहुत समय पहले एक देश में राजा और मंत्री गहरे मित्र थे। उन्होंने एक दिन
देश-भ्रमण अर्थात् यात्रा करने का निश्चय किया और दोनों जन यात्रा के लिए निकल पड़े। रास्ते में उन्हें तुलसी के पौधे मिले। मंत्री ने तुलसी के दो पौधे उखाड़ लिये, एक उसने राजा को दिया और एक स्वयं ले लिया। उन्होंने एक स्थान पर उन दोनों पौधों को अलग-अलग दिशा में जमीन पर रोप दिया। दोनों ने तय किया कि एक वर्ष बाद इसी जगह पर वापस मिलेंगे। राजा और मंत्री बहुत होशियार और कुशल थे। दोनों अलग-अलग दिशा में जाने लगे। मंत्री उत्तर की ओर तथा राजा पश्चिम की ओर चल दिया। मंत्री जब वन से गुजर रहा था, तब उसने दो पक्षियों को बात करते हुए सुना। वे पक्षी कह रहे थे कि इस वन में दो तालाब हैं, जिनमें एक तालाब का पानी छूने से इंसान बंदर बन जाता है तथा दूसरे तालाब का पानी छूने से बंदर इंसान रूप में आ जाता है। मंत्री ने उन दोनों तालाबों के पानी को अलग-अलग पात्र में भरकर अपने साथ रख लिया।
मंत्री अब चलते-चलते पास के देश में पहुँचता है। वहाँ उसे ढोल, नगाड़ों तथा शहनाइयों की आवाज सुनाई पड़ती है। पूछने पर उसे पता चलता है कि उस देश की राजकुमारी का स्वयंवर है। अतः सभी लोग राजकुमारी के स्नान के लिए महल के अंदर पानी लेकर जा रहे थे। मंत्री सोचता है कि उन पक्षियों की बात में कितनी सच्चाई है, अतः तालाब के पानी के परीक्षण के लिए वह इंसान से बंदर में बदल जानेवाले पानी को लेकर महल में जाता है। जब राजकुमारी ने नहाने के लिए उस पानी को छुआ तो वह बंदर बन गई। सभी लोगों ने इस बात को सुना कि राजकुमारी बंदर बन गई है, सब आश्चर्यचकित हो गए। राजा ने उस देश में रहनेवाले सभी नीम-हकीमों को बुलाकर राजकुमारी को स्वस्थ करने को कहा, पर कोई भी राजकुमारी को ठीक न कर सका। तब राजा ने दुःखी होकर दरबार में ऐलान किया, 'जो मेरी पुत्री को बंदर से पुनः इंसान बनाएगा, उसे मुँहमाँगा इनाम दिया जाएगा।' यह सुनकर मंत्री राजा के दरबार में आकर राजा को प्रणाम करते हुए कहता है कि वह राजकुमारी को ठीक कर सकता है। राजा उसे राजकुमारी के पास ले जाता है। मंत्री जो दूसरे पात्र में पानी भरकर लाया था, वह पानी बंदर बनी राजकुमारी को छुआ देता है, जिससे राजकुमारी बंदर से इंसान रूप में आ जाती है। यह देखकर राजा बहुत खुश होता है और अपनी पुत्री का विवाह उस मंत्री के साथ कर देता है।
दूसरी तरफ राजा को अधिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। राजा चलतेचलते एक स्थान पर पहुँचता है, जहाँ एक बहुत भयानक राक्षस का निवास था। वह राक्षस प्रतिदिन उस जगह पर रहनेवाले लोगों को एक-एक बुलाकर खाता था। राजा यह देखकर बहुत दुःखी हुआ। इसी प्रकार एक दिन उस जगह की राजकुमारी की राक्षस के पास जाने की बारी आती है। चूंकि राजा को उस राज्य में आश्रय मिला था, अतः राजा राजकुमारी की जगह खुद जाने का निर्णय लेता है। राजा ने पहले से ही उस राक्षस को मारने की योजना बना ली थी, तो वह मौका आया जानकर उस राक्षस के पास जाता है। वह राक्षस को खिलाने के लिए मिठाई लेकर जाता है, जिसमें जहर मिला देता है। राजा राक्षस से खुद को खाने से पहले मिठाई खाने को कहता है। राक्षस राजा की बात मानकर मिठाइयाँ खा लेता है और मर जाता है। उस जगह के लोगों को जब पता चलता है कि राक्षस मर गया है, तो वहाँ के लोग बहुत खुश होते हैं और 'राजा को देवता ने भेजा है उन लोगों को बचाने के लिए', ऐसा कहकर राजा की पूजा करते हैं तथा राजकुमारी की जान बचाने पर उन्होंने राजा के पास राजकुमारी की शादी का प्रस्ताव भेजा, जिसे राजा स्वीकार कर लेता है।
एक वर्ष पश्चात् राजा और मंत्री दोनों अपने देश के लिए वापस लौटते हैं। दोनों उसी स्थान पर मिलते हैं, जहाँ उन दोनों ने तुलसी के पौधे जमीन में लगाए थे। वे दोनों अपनी पत्नियों के साथ खुशी-खुशी अपने देश को लौट जाते हैं।
स्रोत : श्रीमान हाओविजम मङ्गीजाओ सिंह
पता : थाङ्गा, जिला : विष्णुपुर (मणिपुर) संग्रहकर्ता एवं अनुवादक : सेनजम सपना देवी
Author - यशवंत सिंह / Yashwant Singh
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