उत्तर प्रदेश की लोककथाएँ हिंदी में : विद्या विंदु सिंह हिंदी पुस्तक - कहानी | Uttar Pradesh Ki Lok kathayen in Hindi : Vidhya Vindu Singh Hindi Book – Story (Kahani)
किस्सावाले बाबा
एक साधु बाबा गाँव में आए, बच्चों ने कहा कि बाबा कहानी सुनाओ। बाबा बोले -
किस्सा कही कीसनी की, किस्सा गए सोय।
लरिको पहले खटिया बिछावउ त किस्सा-फिस्सा होय॥
बच्चों ने चारपाई डाल दी, बाबा बैठ गए। बच्चों ने फिर कहानी सुनाने का आग्रह किया।
तब बाबा बोले -
किस्सा कही कीसनी की, किस्सा गए सोय।
लरिको पहले खटिया बिछावउ त किस्सा-फिस्सा होय॥
बच्चों ने चारपाई डाल दी, बाबा बैठ गए। बच्चों ने फिर कहानी सुनाने का आग्रह किया।
तब बाबा बोले -
किस्सा कही कीसनी की, किस्सा गए सोय।
लरिकौ पहले सीधा-पानी लावो त किस्सा-फिस्सा होय॥
बच्चे अपने-अपने घर से दाल-चावल-घी-तेल, सब्जी, आटा, लकड़ी, आग, पानी सब बाबा के निर्देशानुसार जुटा लाए।
बच्चों ने फिर कहानी सुनाने के लिए कहा तो बाबा बोले -
किस्सा कही कीसनी की, किस्सा गए सोय।
लरिकौ पहले भोजन बनाई त किस्सा-फिस्सा होय॥
भोजन बन गया, बाबा ने प्रेम से भोजन किया। थोड़ा सा बच्चों के लिए भी छोड़ दिया। बच्चों ने प्रसादस्वरूप बाँटकर खा लिया। बाबा जब लेट गए तो बच्चे बोले-"बाबा, अब किस्सा सुनाओ!
तब बाबा ने कहा -
किस्सा कही कीसनी की, किस्सा गए सोय।
लरिको पहले गोड़ दबाओ त किस्सा-फिस्सा होय॥
बाबा के निर्देशानुसार कोई पंखा झलने लगा, कोई पैर दबाने लगा और फिर से सबने किस्सा सुनाने का अनुरोध किया।
बाबा ने उसी तरह निर्देश दिया कि पहले मेरा झोला और कुबरी ले आओ, तब किस्सा होगा।बच्चों ने कुबरी और झोला लाकर दे दिया और फिर से किस्सा सुनाने को कहा। बाबा फिर उसी तरह बोले
किस्सा कही कीसनी की, किस्सा गए सोय।
लरिकौ पहले राहि बतावो त किस्सा-फिस्सा होय॥
ऐसा कहकर बाबा नौ-दो ग्यारह हो गए।
बच्चे एक-दूसरे का मुंह देखते रह गए।।
Title - उत्तर प्रदेश की लोककथाएं
ISBN - 9789355210203
Author - विद्या विंदु सिंह / Vidhya Vindu Singh
To Buy - https://www.amazon.in/dp/9355210205/ To Read Full Book
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