झारखंड की लोककथाएँ हिंदी में : डॉ. मयंक मुरारी हिंदी पुस्तक - कहानी

झारखंड  की लोककथाएँ हिंदी में : डॉ. मयंक मुरारी  हिंदी पुस्तक - कहानी | Jharkhand Ki Lok kathayen in Hindi :  Dr. Mayank Murari   Hindi Book – Story (Kahani)

                                               चंद्रहार

लेखक : डॉ. गिरिधारी राम गौंझू 'गिरिराज'
हिंदी : डॉ. मयंक मुरारी

पाक राजा था। उसके सात बेटे थे। सातों बेटों की शादी के लिए बहओं की
खोज हुई। अपने बेटों की शादी करते-करते राजा की माली स्थिति खराब हो गई। कन्यादान के लिए धन एवं संपत्ति देने के कारण राजा कंगाल हो गया। शादी पश्चात् राजा के परिवार में सदस्यों की संख्या बढ़ गई और कुल सदस्यों की संख्या 14 हो गई।
lok katha in hindi,झारखंड की लोककथाएं,भारत की लोक कथाएं,Hindi books,प्राचीन लोककथाएँ,
झारखंड की लोककथाएँ


एक दिन राजा ने अपने घर की गरीबी दूर करने के लिए रानी और अपने सातों बेटों एवं बहुओं को बुलाया और कहा कि आज के बाद सभी घर से बाहर खाली हाथ जाएंगे और जब आएँगे तो साथ में कुछ लेकर घर में घुसेंगे। इस बात से सभी राजी हो गए। इसके बाद जब भी कोई बाहर से आता, तो कुछ-न-कुछ हाथ में लेकर घर में घुसता था। चाहे किसी के हाथ में मिट्टी का ढेला हो या किसी के हाथ में सूखा गोबर या किसी के हाथ में झूरी।
तात्पर्य यह कि जिसको जो मिलता, दिखता और हाथ लगता, उसको वे लोग अपने साथ घर लेकर आ जाते। रोज कुछ-न-कुछ लाने के कारण राजा के घर में मिट्टी, गोबर, झूरी का ढेर लग गया। इसके बाद एक दिन राजा ने सभी को बुलाकर कहा कि हमारे यहाँ सामानों का ढेर हो गया है। अब एक विचार आया है कि क्यों न सब कोई मिलकर कोठरी बनाएँ। जब सब कोई राजी हो गया, तो राजा ने कहा कि बहुएँ पानी लाएँगी और बेटा लोग पानी से मिट्टी को भिगोने का काम करेंगे। राजा और उनकी संतानों के प्रयास से सभी के लिए एक-एक कोठरी का निर्माण हो गया।

शर्त के अनुसार राजा के परिवार के सदस्य रोज कुछ-न-कुछ बाहर से लाते
थे। एक दिन राजा की छोटी बहू को घर लाने के लिए कुछ नहीं मिला तो वह रास्ते से एक मरा साँप लेकर घर आ गई। घर पहुँचने पर राजा यानी श्वसुर ने कहा कि इस सामान को अच्छे से छानी, यानी छत के ऊपर रख दो। हम नहाने के लिए नदी पर जा रहे हैं, आने के बाद सामान को देखते हैं। छोटी बहू ने आदेश के अनुसार साँप को एक तौलिया में रखकर छानी के ऊपर रख दिया।

जब गरीब राजा नदी में स्नान कर रहा था, तो उसके कान में नगर के शासक की आवाज पड़ी। वह कह रहा था कि इस राज्य की रानी का चंद्रहार एक चील लेकर उड़ गई है। जिसको वह चंद्रहार मिले, उसे राजा को आकर वापस कर दे। ऐसा करने पर राजा उनको अपने राजपाट का आधा हिस्सा देगा।

गरीब राजा ने नहाते हुए डुगडुगी की आवाज में सारी बातों को सुना। वह जल्दी-जल्दी नहाकर घर वापस आया। उसने छोटी बहू से पूछा कि बहू ये जो सामान तुम बाहर से लाई थी, वह कहाँ है ? उसने कहा कि आपने कहा था कि उसको छानी पर रख दो, इसलिए हमने उसको छानी पर ही रख दिया है। इसके बाद राजा ने कहा कि चलो देखते हैं। जब वे लोग देखने गए, तो वहाँ राजा का चंद्रहार मिला। साँप गायब था। उसकी पतोहू ने कहा कि पिताजी, वहाँ से साँप गायब है, अब वहाँ पर चंद्रहार है।
राजा ने बहू को कहा कि बहुरिया जानती हो कि यह चंद्रहार यहाँ के बड़े राजा की पत्नी का है। इसको एक चील लेकर उड़ गई थी, जब रानी नदी में नहा रही थी। राजा ने पूरे राज्य में डुगडुगी बजाकर संदेश दिया है कि जिसको चंद्रहार मिले, उसे वह वापस कर दे। ऐसा करने पर राजपाट का आधा हिस्सा दिया जाएगा। अतएव चलो, हम लोग इसे राजा को वापस कर देते हैं।

छोटी बहू ने अपने श्वसुर से पूछा कि आखिर यह चंद्रहार छानी पर कहाँ से आ गया और साँप कैसे गायब हो गया। इस पर उसके श्वसुर ने कहा कि जब चील ने रानी के गले पर यह सोचकर हमला किया कि यह कोई साँप है। जब वह चंद्रहार को अपनी चोंच में दबाए उड़ी तो इसकी असलियत का पता चला। जब सच्चाई पता चल गई, तो यह हमारे घर के छानी पर फेंक दिया और वहाँ रखे साँप को अपनी चोंच से पकड़कर उड़ चली। श्वसुर ने कहा कि न तुम मरा साँप लाती और न ही हम लोगों को यह राजा का चंद्रहार मिलता!

इसके बाद राजा और उसकी छोटी बहू दोनों ने चंद्रहार को वापस कर दिया। इससे राजा काफी खुश हुआ। उसको यह जानकर भी प्रसन्नता हुई कि छोटी बहू मरा हुआ साँप लेकर घर लौटी थी, जिसके कारण चंद्रहार वापस आया। शर्त के अनुसार गरीब राजा को अमीर राजा ने अपना आधा राज्य दे दिया। इससे गरीब राजा के खराब दिन अच्छे हो गए और वे सुखपूर्वक रहने लगे।

Author - मयंक मुरारी / Mayank Murari To Buy - https://www.amazon.in/dp/9387968847/ To Read Jharkhand Ki Lok kathayen Full Book in hindi

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ